प्रबन्धक संदेश
24 जनवरी 2007 की वह शुभ तिथि जब वैष्णो देवी प्रशिक्षण महाविद्यालय गोंदाही, कुण्डा, प्रतापगढ नामक ज्ञान शिशु का जन्म हुआ जहाॅं शिक्षा वैश्विक और सामाजिक सरोकारों से दो चार हुई । जिस यज्ञ मे मेरा निरन्तर 40 वर्षो से भी अधिक का जीवन आहुति बना ज्ञान यज्ञ की समिधा के रूप में । आज जब मैं अपने विगत का मूल्यांकन करता हूॅं तो रपटीली किन्तु अपेक्षाकृत मजबूत जमीन पर खुद को खडा पाता हूॅ इस पूरे सफर में ईमानदारी के साथ श्रम, समर्पण और आत्मबल मेरा पार्थय रहा । चरैवेति ................ चरैवेति क्योकि श्रोम वाज नाॅंट बिल्ट इन अ डेश् ।
हमने एक सपना संजोया हैं इस संस्थान परिसर , परिवार और इनफ्रा को लेकर अध्ययन-अध्यापन और अनुशासन को लेकर जो ऊपर से ओढा हुआ न हो गुणात्मक हो आन्तरिक हो जहाॅं सभी चुनौतियों से शिक्षा रूबरू हो और रोजमर्रे में शिक्षा दिखे जहाॅं के छात्र ए0पी0जे0 अबुल कलाम जैसा श्मिसाइल मैनश् बने छात्राये कल्पना चावला और किरन बेदी हों ।
मनुष्य पर लदे प्राणों में मातृ ऋण सबसे प्रमुख हैं अपनी मातृभूमि के ऋण से मुक्ति हेतु ज्ञानस्थली के माध्यम से शिक्षा दान से अधिक श्रेष्ठ कोई उपाय नही हैं । इसकी स्थापना का यही मेरा उदद्ेश्य हैं ।
वैष्णो देवी प्रशिक्षण महाविद्यालय गोंदाही कुण्डा प्रतापगढ में स्नातक कला संकाय स्नातक विज्ञान संकाय परास्नातक कला संकाय , बी0एड्0 जैसे संकाय संचालित हैं । छात्र-छात्राओं द्वारा नियमित पठन-पाठन , डेªस कोड अनुशासन , अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं व्यायामशाला पुस्तकालय शत-प्रतिशत परीक्षाफल 5 हजार से भी अधिक छात्र-छात्रायें 50 से भी अघिक विद्वान प्राध्यापक इसकी सफलता की कहानी स्वयं कहते हैं ।
आने वाले वर्षो में बी0टी0सी0 , एम0सी0ए0, एम0बी0ए0, बी0फार्मा0 जैसे रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम हमारी प्राथमिकताओं में हैं।
इस अवधि में हमने शैक्षिक कामयाबियों के शिखर को छूनें का प्रयास किया हैं । अनेक उपलब्धियाॅं अभी अनुछुई हैं जिन पर दृढतापूर्वक अग्रसर हैं मंजिल से हम दूर हैं मंजिल हमसे दूर नही हैं।
हम माॅं वैष्णो देवी शिक्षा समिति के पदाधिकारियों के साथ-साथ समस्त महाविभूतियों के प्रति कृतज्ञ हैं । आपके सहयोग से हम अवश्य कामयाब होगें
24 जनवरी 2007 की वह शुभ तिथि जब वैष्णो देवी प्रशिक्षण महाविद्यालय गोंदाही, कुण्डा, प्रतापगढ नामक ज्ञान शिशु का जन्म हुआ जहाॅं शिक्षा वैश्विक और सामाजिक सरोकारों से दो चार हुई । जिस यज्ञ मे मेरा निरन्तर 40 वर्षो से भी अधिक का जीवन आहुति बना ज्ञान यज्ञ की समिधा के रूप में । आज जब मैं अपने विगत का मूल्यांकन करता हूॅं तो रपटीली किन्तु अपेक्षाकृत मजबूत जमीन पर खुद को खडा पाता हूॅ इस पूरे सफर में ईमानदारी के साथ श्रम, समर्पण और आत्मबल मेरा पार्थय रहा । चरैवेति ................ चरैवेति क्योकि श्रोम वाज नाॅंट बिल्ट इन अ डेश् ।
हमने एक सपना संजोया हैं इस संस्थान परिसर , परिवार और इनफ्रा को लेकर अध्ययन-अध्यापन और अनुशासन को लेकर जो ऊपर से ओढा हुआ न हो गुणात्मक हो आन्तरिक हो जहाॅं सभी चुनौतियों से शिक्षा रूबरू हो और रोजमर्रे में शिक्षा दिखे जहाॅं के छात्र ए0पी0जे0 अबुल कलाम जैसा श्मिसाइल मैनश् बने छात्राये कल्पना चावला और किरन बेदी हों ।
मनुष्य पर लदे प्राणों में मातृ ऋण सबसे प्रमुख हैं अपनी मातृभूमि के ऋण से मुक्ति हेतु ज्ञानस्थली के माध्यम से शिक्षा दान से अधिक श्रेष्ठ कोई उपाय नही हैं । इसकी स्थापना का यही मेरा उदद्ेश्य हैं ।
वैष्णो देवी प्रशिक्षण महाविद्यालय गोंदाही कुण्डा प्रतापगढ में स्नातक कला संकाय स्नातक विज्ञान संकाय परास्नातक कला संकाय , बी0एड्0 जैसे संकाय संचालित हैं । छात्र-छात्राओं द्वारा नियमित पठन-पाठन , डेªस कोड अनुशासन , अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं व्यायामशाला पुस्तकालय शत-प्रतिशत परीक्षाफल 5 हजार से भी अधिक छात्र-छात्रायें 50 से भी अघिक विद्वान प्राध्यापक इसकी सफलता की कहानी स्वयं कहते हैं ।
आने वाले वर्षो में बी0टी0सी0 , एम0सी0ए0, एम0बी0ए0, बी0फार्मा0 जैसे रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम हमारी प्राथमिकताओं में हैं।
इस अवधि में हमने शैक्षिक कामयाबियों के शिखर को छूनें का प्रयास किया हैं । अनेक उपलब्धियाॅं अभी अनुछुई हैं जिन पर दृढतापूर्वक अग्रसर हैं मंजिल से हम दूर हैं मंजिल हमसे दूर नही हैं।
हम माॅं वैष्णो देवी शिक्षा समिति के पदाधिकारियों के साथ-साथ समस्त महाविभूतियों के प्रति कृतज्ञ हैं । आपके सहयोग से हम अवश्य कामयाब होगें
प्रबन्धक
(छोटेलाल यादव)
वैष्णो देवी प्रशिक्षण महाविद्यालय
गोंदाही चेरगढ कुण्डा प्रतापगढ